अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी का वास्ता रांची से भी रहा है। वह कभी रांची आई या नहीं, लेकिन उनके नाम मोरहाबादी में 3.60 एकड़ जमीन थी। अब इस जमीन पर अवैध रूप से 32 लोग काबिज हो गए हैं। या फिर किसी ने फर्जी तरीके से मीना की जमीन की बिक्री कर दी।
हालांकि मीना की जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती थी, क्योंकि उन्होंने अपनी वसीयत में रांची की जमीन दान करने की बात कही गई थी।
उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा है, ''मैं महजबीन उर्फ मीना कुमारी, बंबई भारतीय निवासी इस समय फ्लैट नं 111 लेंड मार्क, कार्टर रोड, बांद्रा-50 में निवासित, यह अपना अंतिम मृत्युलेख व वसीयतनाम अपनी स्वेच्छा व खुशी से बनाती व सूचित करती हूं।
मैं बंबई के श्री चांद बहादुर सक्सेना व लायंस क्लब इंटरनेशनल, बंबई के सभापति को अपने इस मृत्युलेख के उत्तरसाधक (एक्जीक्यूटर) नियुक्त करती हूं। मैं अन्य संपत्ति के अतिरिक्त निम्नलिखित संपत्तियों की अधिकारिणी हूं और मैं प्रत्येक के सामने लिखे अनुसार इस संपत्ति को मृत्यु के बाद देना चाहती हूं-
1-(क) फ्लैट नं 111, लैंड मार्क, ग्यारहवां माला, कार्टर रोड, बांद्रा, बंबई-50
(ख) 251, पाली हिल रोड, बांद्रा, बंबई-50, स्थित जमीन, जो कि कोजीहोमस को-आपरेटिव सोसायटी लि. को लीज पर दी हुई है, मेरे हिस्से के मेरे अधिकार, स्वत्व अधिकार व विशेषाधिकार
(ग) किशोर शर्मा व अन्य व्यक्तियों के पास मेरे विवादित पैसे में मेरे दावे व अधिकार
ऊपर लिखी चारों चीजें और रांची स्थित जमीन में मेरा अधिकार व दावा लायंस क्लब इंटरनेशनल को दिए जाएंगे और इन सबका मेरे नाम से एक ट्रस्ट बनाया जाएगा और इसकी आमदनी उक्त ट्रस्ट के माध्यम से व उक्त क्लब के आदेशानुसार नेत्रहीन व्यक्तियों के लाभ के काम में लाई जाएगी।ÓÓ
मीना कुमारी ने अन्य संपत्तियों का भी जिक्र किया है, उसे किसे देना है। कार से लेकर पुस्तक, गहने, निजी चीजें आदि का। छह मार्च, 1972 को यह वसीयनामा बना और इस पर गवाही के तौर दो अन्य लोगों वकील एसए शेट्टी व सीबी सक्सेना के हस्ताक्षर थे। सक्सेना मीना कुमारी के सचिव थे।
सबको पता है कि मीना कुमारी का असली नाम माहजबीं बानो था। बंबई में 1 अगस्त 1932 को वह पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मंजे हुए कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था और वे एक अच्छे तबलावादक भी थे। मास्टर अली बक्श ही कभी रांची आए होंगे और उन्हें किसी ने जमीन दी होगी या खरीदी होगी। छह मार्च को उन्होंने अपनी वसीयत लिखी और फिर 31 मार्च को इस दुनिया से रुखसत हो गईं।
लगभग तीन दशक तक अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली ङ्क्षहदी सिने जगत की इस महान अभिनेत्री की जमीन करीब 32 लोग काबिज हैं। मीना के पिता के नाम यह जमीन थी। इसका खतियान भी है। इसके हिसाब से यह जमीन मोरहाबादी में है। 192 खाता नं 132 प्लाट नं 62 आरएस। खतियान में मास्टर अली बक्श वल्द शावल, साकिन गांगा थाना मीरा जिला सरगोदा (पंजाब) का जिक्र है। इस पर जो अभी काबिज हैं, उपसमाहर्ता ने इसकी सूची भी दी है-खाता नं, प्लाट नं, रकबा और रैयत का नाम भी है।
मीना की कहानी सुनाने-बताने की जरूरत है। उनकी अदाकारी से कौन परिचित नहीं होगा। ऐसी शख्सियत का संबंध रांची से हो तो इस हमें गर्व करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता हुसैन कच्छी कहते हैं कि मीना कुमारी का नाम रांची से जुडऩा ही बड़ी बात है। हमें उनकी स्मृति में कुछ न कुछ अवश्य करना चाहिए। वह लीजेंड थीं। वैसी अदाकारा आज तक नहीं हुई हैं। उनकी जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती थी। यह जांच का विषय है कि आखिर, उस जमीन की बिक्री किसने की। भूराजस्व मंत्री को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
हालांकि मीना की जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती थी, क्योंकि उन्होंने अपनी वसीयत में रांची की जमीन दान करने की बात कही गई थी।
उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा है, ''मैं महजबीन उर्फ मीना कुमारी, बंबई भारतीय निवासी इस समय फ्लैट नं 111 लेंड मार्क, कार्टर रोड, बांद्रा-50 में निवासित, यह अपना अंतिम मृत्युलेख व वसीयतनाम अपनी स्वेच्छा व खुशी से बनाती व सूचित करती हूं।
मैं बंबई के श्री चांद बहादुर सक्सेना व लायंस क्लब इंटरनेशनल, बंबई के सभापति को अपने इस मृत्युलेख के उत्तरसाधक (एक्जीक्यूटर) नियुक्त करती हूं। मैं अन्य संपत्ति के अतिरिक्त निम्नलिखित संपत्तियों की अधिकारिणी हूं और मैं प्रत्येक के सामने लिखे अनुसार इस संपत्ति को मृत्यु के बाद देना चाहती हूं-
1-(क) फ्लैट नं 111, लैंड मार्क, ग्यारहवां माला, कार्टर रोड, बांद्रा, बंबई-50
(ख) 251, पाली हिल रोड, बांद्रा, बंबई-50, स्थित जमीन, जो कि कोजीहोमस को-आपरेटिव सोसायटी लि. को लीज पर दी हुई है, मेरे हिस्से के मेरे अधिकार, स्वत्व अधिकार व विशेषाधिकार
(ग) किशोर शर्मा व अन्य व्यक्तियों के पास मेरे विवादित पैसे में मेरे दावे व अधिकार
ऊपर लिखी चारों चीजें और रांची स्थित जमीन में मेरा अधिकार व दावा लायंस क्लब इंटरनेशनल को दिए जाएंगे और इन सबका मेरे नाम से एक ट्रस्ट बनाया जाएगा और इसकी आमदनी उक्त ट्रस्ट के माध्यम से व उक्त क्लब के आदेशानुसार नेत्रहीन व्यक्तियों के लाभ के काम में लाई जाएगी।ÓÓ
मीना कुमारी ने अन्य संपत्तियों का भी जिक्र किया है, उसे किसे देना है। कार से लेकर पुस्तक, गहने, निजी चीजें आदि का। छह मार्च, 1972 को यह वसीयनामा बना और इस पर गवाही के तौर दो अन्य लोगों वकील एसए शेट्टी व सीबी सक्सेना के हस्ताक्षर थे। सक्सेना मीना कुमारी के सचिव थे।
सबको पता है कि मीना कुमारी का असली नाम माहजबीं बानो था। बंबई में 1 अगस्त 1932 को वह पैदा हुई थीं। उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मंजे हुए कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था और वे एक अच्छे तबलावादक भी थे। मास्टर अली बक्श ही कभी रांची आए होंगे और उन्हें किसी ने जमीन दी होगी या खरीदी होगी। छह मार्च को उन्होंने अपनी वसीयत लिखी और फिर 31 मार्च को इस दुनिया से रुखसत हो गईं।
लगभग तीन दशक तक अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली ङ्क्षहदी सिने जगत की इस महान अभिनेत्री की जमीन करीब 32 लोग काबिज हैं। मीना के पिता के नाम यह जमीन थी। इसका खतियान भी है। इसके हिसाब से यह जमीन मोरहाबादी में है। 192 खाता नं 132 प्लाट नं 62 आरएस। खतियान में मास्टर अली बक्श वल्द शावल, साकिन गांगा थाना मीरा जिला सरगोदा (पंजाब) का जिक्र है। इस पर जो अभी काबिज हैं, उपसमाहर्ता ने इसकी सूची भी दी है-खाता नं, प्लाट नं, रकबा और रैयत का नाम भी है।
मीना की कहानी सुनाने-बताने की जरूरत है। उनकी अदाकारी से कौन परिचित नहीं होगा। ऐसी शख्सियत का संबंध रांची से हो तो इस हमें गर्व करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता हुसैन कच्छी कहते हैं कि मीना कुमारी का नाम रांची से जुडऩा ही बड़ी बात है। हमें उनकी स्मृति में कुछ न कुछ अवश्य करना चाहिए। वह लीजेंड थीं। वैसी अदाकारा आज तक नहीं हुई हैं। उनकी जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती थी। यह जांच का विषय है कि आखिर, उस जमीन की बिक्री किसने की। भूराजस्व मंत्री को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।
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