1962 में पीके घोष बने रांची के सांसद


संजय कृष्ण, रांची

रांची पूर्वी से 1952 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन दूसरे और तीसरे चुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ा। पहले आमचुनाव में कांग्रेस से इब्राहिम  अंसारी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इसके बाद हुए दोनों आमचुनाव में जनता ने अपना मत उन्हें नहीं दिया। दूसरी बार मुंबई से आए और झारखंड पार्टी के बैनर से चुनाव लड़े मीनू मसानी को संसद में भेज दिया और तीसरी बार भी उसने कांग्रेस के प्रत्याशी इब्राहिम अंसारी के बजाय स्वतंत्र पार्टी से पहली बार चुनाव में खड़े प्रशांत कुमार घोष यानी पीके घोष को संसद में भेज दिया। स चुनाव में प्रशांत घोष को 43256 मत मिले और इब्राहिम अंसारी को 38233 मत। रांची ईस्ट से कुल आठ लोग चुनाव मैदान में थे। पहली बार मारवाड़ी अर्जुन अग्रवाल भी मैदान में थे और वे जयपाल सिंह की पार्टी से चुनाव मैदान में थे। इनके अलावा गोपाल महतो, अनंग मोहन मुखर्जी, चामू सिंह मुंडा, शशिराय सिंह और एमएच बजराय मुंडा। वहीं, रांची वेस्ट आरक्षित सीट थी। यहां से तीसरी बार जयपाल सिंह जीतकर संसद पहुंचे। यहां जोसेफ तिग्गा को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। तीसरे प्रत्याशी थे लाल सिंह मुनारी। कुल तीन ग ही यहां से मैदान में थे। तीन बार रहे सांसदप्रशांत कुमार घोष रांची से तीन बार सांसद रहे। 20 दिसंबर, 1926 को जन्म हुआ। 11 दिसंबर, 1962 में शादी हुई और 25 दिसंबर 2013 में रांची में निधन। पहली बार वे स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़े थे। हालांकि छात्र जीवन से वे फारवर्ड ब्लाक के सदस्य रहे, लेकिन स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष के आग्रह पर रांची पूर्वी लोकसभा से मैदान में खड़े हो गए और जीत दर्ज की। डा. रामरंजन सेन ने लिखा है कि उनकी जीत के पीछे उनके पिता तारा प्रसन्न घोष की अहम भूमिका थी। वे एक सामाजिक आदमी थे। समाज के लिए काफी काम किया। इस काम का ही असर था कि वे झारखंड पार्टी व कांग्रेस प्रत्याशी को हरा सके। बाद में वे दीप नारायण सिंह के आग्रह पर कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद 1967 में कांग्रेस के नर पर चुनाव लड़े और विजयी हुए। इसके बाद 1971 में रांची से ही चुनाव लड़े और संसद पहुंचे। बाद में उनकी जगह पर शिवप्रसाद साहू को टिकट दिया गया, लेकिन वह चुनाव हार गए। दूसरी बार शिव प्रसाद साहू जीत दर्ज की। पीके घोष 1980 से 84 तक छोटानागपुर व संताल परगना के कांग्रेस महासचिव भी रहे। 1965 में एचइसीकर्मियों के विस्थापित लोगों के हर परिवार से एक-एक सदस्य को नौकरी दिलाने के लिए भी संसद का ध्यान आकृष्ट कराया। बहुत हद तक सफल रहे। इसके बाद इसी साल एचइसी कारखाना व क्वार्टर का काम पूरा हो गया तो एक हजार सिविल इंजीनियर तथा अन्य कर्मचारियों के बर्खास्त की नौबत आ गई। पीके घोष ने 80 सांसदों के हस्ताक्षर करवाकर संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया। तब केंद्र सरकार ने बर्खास्ती का प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया इन्हें मैकेनिकल एवं स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का अल्पकालीन प्रशिक्षण दिलाकर एचइसी में ही रखा गया। 1971 में उन्हों रेलवे कुली की बात संसद में उठाई। उनके अथक प्रयास से रेलवे कुली की स्थिति में कुछ सुधार हुआ। उनके पुत्र सिद्धार्थ घोष कहते हैं कि पिताजी ने हम लोगों को राजनीति से दूर ही रखा। वे नहीं चाहते थे कि उनका कोई बेटा राजनीति में कदम रखे।

नाम दल मत प्रतिशत

प्रशांत कुमार घोष स्वतंत्र पार्टी 43256 32.29 प्रतिशत

इब्राहिम अंसारी कांग्रेस 38233 28.54 प्रतिशत

अर्जुन अग्रवाल झारखंड पार्टी 29482 22.01 प्रतिशत

गोपाल महतो स्वतंत्र 10234 7.64 प्रतिशत

अनंग मोहन मुखर्जी स्वतंत्र 7118 5.31 प्रतिशत

चामू सिंह मुंडा स्वतंत्र 1981 1.84 प्रतिशत

शशि राय सिंह स्वतंत्र 1865 1.39 प्रतिशत

एमएच बजराय मुंडा स्वतंत्र 1790 1.34 प्रतिशत

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रांची वेस्ट एसटी

जयपाल सिंह झारखंड पार्टी 103310 -52.56 प्रतिशत

जोसेफ तिग्गा स्वतंत्र पार्टी 52432 26.67 प्रतिशत

लाल सिंह मुनरी कांग्रेस 40828 20.77 प्रतिशत

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