संजय कृष्ण, रांची :
कहा जाता है कि 1977 का चुनाव न पार्टी लड़ रही थी न नेता लड़ रहे थे। यह चुनाव देश की जनता लड़ रही थी। आपातकाल के बाद छठवें लोकसभा चुनाव में रांची ने भी अहम भूमिका निभाई। यहां से इस बार चुनाव में रांची का कोई नेता नहीं, मोरारजी देसाई के विश्वासपात्र रवींद्र वर्मा चुनाव लड़े। वे प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा के परिवार से थे।
रांची आकर उन्होंने नामांकन किया और पूरा चुनाव प्रचार कार्य रांची के प्रसिद्ध उद्योगपति हनुमान प्रसाद सरावगी के घर से ही किया। उनके प्रचार में लालकृष्ण आडवाणी और आचार्य कृपलानी आए थे। आडवाणी की सभा हटिया में हुई थी और तब उन्होंने कहा था, विदेशी मामलों में रवींद्र वर्मा मेरे गुरु हैं। हनुमान प्रसाद सरावगी के पुत्र विनय सरावगी बताते हैं, तब मैं मैट्रिक में पढ़ता था। उन्होंने यहां नामांकन करते समय किसी से पूछा कि कोई हनुमान प्रसाद सरावगी को जानता है? एक सज्जन उनको लेकर मेरे घर आए और यहीं से उनका प्रचार अभियान शुरू हुआ। पिता जी से उनकी मुलाकात मुंबई में यूथ कांग्रेस के अधिवेशन में हुई थी। वे यहां महीने भर से ऊपर रहे। सप्ताह में दो दिन मोरारजी देसाई का फोन आता था। सुबह वे चुरुवाला चौक पर एक चाय की दुकान होती थी, वहीं चाय पीते थे। भोजन की व्यवस्था ऐसी थी कि उनके लिए टिफिन उनके कमरे में रख दिया जाता। वे 16 भाषाओं के विद्वान थे। भारतीय लोक दल से वे चुनाव लड़े थे। रांची, खूंटी व लोहरदगा का चुनाव प्रचार का अभियान मेरे घर से ही संचालित होता था। उस समय करीब 70-80 हजार रुपये खर्च हुए थे। रांची लोकसभा वे जीतकर संसद में पहुंचे। हालांकि वे फिर कभी रांची नहीं आए और 1980 का चुनाव मुंबई से लड़े और मृणाल गोरे को हराया था। 2002 में जरूर वे रांची आए तो हनुमान प्रसाद सरावगी और उनके परिवार से मिले।
13 लोग थे चुनाव मैदान में
1977 के चुनाव में रांची लोकसभा से 13 लोग मैदान में थे। कांग्रेस से शिव प्रसाद साहू मैदान में थे और उन्हें मात्र 25.54 प्रतिशत ही मत मिले। अंतिम प्रत्याशी अहमद आजाद को मात्र 0.14 प्रतिशत मत मिला था। इस चुनाव में 47.73 प्रतिशत ही मतदान हुआ था। यानी, इंदिरा के खिलाफ चली आंधी और इमरजेंसी को भुगतने के बाद भी रांची की जनता वोट देने के लिए आधे से भी कम संख्या में निकली। इस चुनाव में सीपीएम ने भी भाग्य आजमाया लेकिन उसे चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। रोशनलाल भाटिया कहते हैं, नामांकन करने के बाद प्रचार किया नहीं। वहीं, लेखानंद झा कहते हैं कि आज धर्म और जाति की राजनीति हो रही है। तब वैसा नहीं था।
किसे कितना मिला मत
नाम दल मत प्रतिशत
रवींद्र वर्मा भालोद 130938 -49.02 प्रतिशत
शिव प्रसाद साहू कांग्रेस 68222 -25.54 प्रतिशत
घनश्याम महतो स्वतंत्र 22721 -8.51 प्रतिशत
राजेंद्र सिंह सीपीएम 13626-5.10 प्रतिशत
रोशन लाल भाटिया स्वतंत्र 10146-3.80 प्रतिशत
अबरारुल हुदा स्वतंत्र 7223 -2.70 प्रतिशत
ऋषिकेश महतो स्वतंत्र 3704-1.39 प्रतिशत
बीरेंद्र कुमार पांडेय झारखंड पार्टी 2640-0.99 प्रतिशत
लेखानंद झा स्वतंत्र 2372 -0.89 प्रतिशत
मथुरा प्रसाद स्वतंत्र 2149-0.80 प्रतिशत
मोएस गुड़िया स्वतंत्र 2143 0.80 प्रतिशत
गिरजा नंदन प्रसाद सिन्हा स्वतंत्र 833-0.31 प्रतिशत
अहमद आजाद स्वतंत्र 375-0.14 प्रतिशत
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