पहली बार हार, फिर दो बार जीते शिव प्रसाद साहू

1980 में रामटहल चौधरी स्वतंत्र लड़े थे और 1984 में थाम लिया भाजपा का दामन

संजय कृष्ण, रांची

लोहरदगा के प्रसिद्ध व्यवसायी और समाजसेवी कांग्रेस के नेता शिव प्रसाद साहू ने रांची से दो बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। पहली बार 1980 में और दूसरी बार 1984 में। 1977 की हवा में जीतकर गए रवींद्र वर्मा फिर दुबारा रांची आए नहीं। यहां की जनता की कोई खोज-खबर ली नहीं, जबकि वे मोरारजी देसाई के बहुत खास थे। वे बड़े नेता थे और राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय पहचान भी थी, लेकिन रांची की जनता के काम न आ सके। जनता ने भी अब कांग्रेस को वोट देने का मन बना लिया था। तब कांग्रेस आई बन गई थी। कांग्रेस आई अर्थात इंदिरा गांधी की कांग्रेस। कांग्रेस आई ने दुबारा शिव प्रसाद साहु को अपना उम्मीदवार रांची से बनाया और इस बार उन्होंने निराश नहीं किया। 1977 की हवा में उड़े शिव प्रसाद साहू को इस बार उन्हें 38.66 प्रतिशत मत मिला था और जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। 1980 के इस चुनाव में रांची से 17 लोग मैदान में थे। रामटहल चौधरी इस चुनाव में स्वतंत्र लड़े थे और पांचवें नंबर थे। अगली बार 1984 में रामटहल चौधरी भाजपा से चुनाव लड़े और इस बार वे दूसरे स्थान पर रहे। 1980 में उन्हें 8.86 प्रतिशत मत मिला था और 1984 में इनका मत प्रतिशत दोगुना हो गया। यानी 16.51 प्रतिशत। इस चुनाव में कुल 23 उम्मीदवार मैदान में थे। 1984 में ही सुबोधकांत सहाय पहली बार रांची से जनता पार्टी से चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 15.42 प्रतिशत मत मिला। इस बार रोशनलाल भाटिया लोकदल के बैनर तले खड़े हुए। वे चौथे स्थान पर थे और उन्हें 5.61 प्रतिशत मत मिला था।


1984 में साहू को मिला था 49.47 प्रतिशत मत

वर्तमान राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के बड़े भाई थे शिव प्रसाद साहू। लोहरदगा में उनका जन्म सात जनवरी 1934 को हुआ था और निधन 23 जनवरी 2001 को। वे छोटा नागपुर बाक्साइट वर्कर्स यूनियन, रांची जिला बाक्साइट और चाइना क्ले माइंस कर्मचारी संघ के महासचिव थे। वह कई कालेजों व स्कूलों के अध्यक्ष और लोहरदगा नगर पालिका के भी अध्यक्ष रहे। 1980 में वे लोकसभा पहुंचे और फिर अगली बार भी रांची की जनता ने उन्हें संसद भेज दिया। 1984 में उन्हें 49.47 प्रतिशत मत मिला। यानी, इस बार उनका मत प्रतिशत भी बढ़ गया। 1980 में 38.66 मत मिला था। सीधे दस प्रतिशत का इजाफा हुआ था। इन्हें 162945 मत मिला। इसमें कुल 23 लोग मैदान में थे और अंतिम नंबर पर दीनबंधु गोप थे, जिन्हें मात्र 412 मत मिला। कुल 17 लोग स्वतंत्र लड़े थे। निर्मल महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा से लड़े थे। उन्हें रांची की जनता ने 10113 वोट दिया। नृपेंद्र कृष्ण महतो आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक से लड़े थे और 5085 मत मिले।

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