इस पेज पर जयपाल सिंह व बोनीफेस के हस्ताक्षर |
पर, इस संविधान के निर्माण में झारखंड का भी योगदान है। संविधान सभा के सदस्यों में तीन झारखंड से थे। इनके नाम हैं, जयपाल सिंह मुंडा, बोनीफेस लकड़ा व देवेंद्र नाथ सामंत। मूूल संविधान की प्रति के अंत में इनके भी हस्ताक्षर हैं। तब जयपाल सिंह, अपने नाम के साथ मुंडा नहीं लिखते थे, इसलिए संविधान की प्रति में जयपाल सिंह के नाम से ही इनके हस्ताक्षर हैं। उस समय बिहार से इनके अलावा अमिय कुमार घोष, अनुग्रह नारायण सिन्हा, बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला, भागवत प्रसाद, ब्रजेश्वर प्रसाद, चंडिका राम, लालकृष्ण टी. शाह, डुबकी नारायण सिन्हा, गुप्तनाथ सिंह, यदुबंश सहाय, जगत नारायण लाल, जगजीवन राम, दरभंगा के कामेश्वर सिंह, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, महेश प्रसाद सिन्हा, कृष्ण वल्लभ सहाय, रघुनंदन प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद सिन्हा, रामनारायण सिंह, सच्चिदानन्द सिन्हा, शारंगधर सिन्हा, सत्यनारायण सिन्हा, विनोदानन्द झा, पी. लालकृष्ण सेन, श्रीकृष्ण सिंह, श्री नारायण महता, श्यामनन्दन सहाय, हुसैन इमाम, सैयद जफर इमाम, लतिफुर रहमान, मोहम्मद ताहिर, तजमुल हुसैन, चौधरी आबिद हुसैन, हरगोविन्द मिश्र भी इसके सदस्य थे। यानी कुल 36 सदस्य तत्कालीन बिहार से उस समय संविधान सभा के सदस्य थे।
राज्य पुस्तकालय में है संविधान की प्रिंटेड कॉपी
शहीद चौक स्थित राज्य पुस्तकालय में संविधान की मूल प्रति की पिं्रटेंड कॉपी देख सकते हैं। सभी के हस्ताक्षरयुक्त इस संविधान की प्रति काफी खूबसूरत है। हर पेज पर डिजाइन है। अलग-अलग। ऊपर चित्रों से सजा है। सबसे पहले भारत का प्रतीक चिह्न। इसके बाद हर अध्याय की शुरुआत के ऊपर भारतीय संस्कृति-दर्शन से जुड़ी तस्वीरें हैं। प्राचीन से लेकर अर्वाचीन तक। बुद्ध, गांधी, सुभाष भी हैं। नटराज, हड़प्पा का सांड़ भी। मुगल शासक भी है। हर धर्म को इसमें समान आदर और प्रतिनिधित्व दिया गया है। रंगीन और श्याम-श्वेत चित्र से यह संविधान सजा हैं। संविधान के अंत में नौ पृष्ठों पर सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इन हस्ताक्षरों में झारखंड की विभूतियों को भी पहचान सकते हैं। 12 इंच बाई 16 इंच के साइज में यह प्रति है।
कौन थे यह सदस्य
जयपाल सिंह मुंडा किसी परिचय के मोहताज नहीं है। हॉकी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी। इसके बाद राजनीति में आए तो राज्य अलग को लेकर आंदोलन चलाया। झारखंड पार्टी के गठन में सक्रिय भूमिका। बाद में कांग्रेस में जा मिले। उस समय वे आदिवासी महासभा से जुड़े थे। बोनीफेस भी आदिवासी महासभा से ही थे और ये भी रांची के आस-पास के थे। देवेंद्रनाथ सामंत चाइबासा से थे और कांग्रेस से जुड़े हुए थे।
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