मुर्गे ने दी बांग, पंजा हो गया साफ


1957 में मीनू मसानी रांची से पहुंचे संसद, जयपाल सिंह ने अपने टिकट से लड़ाया था चुनाव


देश में जब दूसरी लोकसभा चुनाव की बयार बह रही थी तो रांची ने कई परिवर्तन देखे। अब तक झारखंड पार्टी का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में था, इस चुनाव में उसकी धमक शहर में भी दिखाई दी। पहले आम चुनाव में विजयी हुए कांग्रेस अब्दुल इब्राहिम को हार का मुंह देखना पड़ा। अब्दुल इब्राहिम दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें. 32.59 प्रतिशत ही मत मिले। 1950 में गठित झारखंड पार्टी के प्रमुख जयपाल सिंह ने मुंबई के मेयर रहे मिनोचर रुस्तम मसानी (मीनू मसानी) को अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा दिया और राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी रही कांग्रेस हार गई। इब्राहिम को 36785 मत मिले। पहले चुनाव में इनका नाम अब्दुल इब्राहिम था और दूसरे आमचुनाव में इनका नाम इब्राहिम अंसारी हो गया। यही नहीं, रांची सीट भी इस बार रांची ईस्ट हो गई। पहले रांची नार्थ ईस्ट थी। जयपाल सिंह ने अपनी पुरानी सीट रांची वेस्ट से ही लड़े और लोकसभा में पहुंचे। यह सीट आरक्षित थी और रांची ईस्ट सामान्य थी। 1500 किमी दूर से आकर मीनू मसानी जयपाल सिंह की कृपा से संसद बन गए। हालांकि जयपाल के इस निर्णय पर पार्टी के अंदर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया हुई, लेकिन तब जयपाल सिंह का प्रभाव कम नहीं था। झारखंड पार्टी का चुनाव मुर्गा था और कांग्रेस का पंजा। पर, आगे चलकर इसी पंजे की गिरफ्त में मुर्गा आ गया।


देश की आजादी में निभाई भूमिका

मीनू मसानी का जन्म मुंबई में 20 नवंबर 1905 को हुआ था और निधन 27 मई 1998 को। उन्होंने लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और लिंकन इन्न से कानून की पढ़ाई की थी। 1929 में भारत वापस आने के बाद बंबई उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। लेकिन देश की आजादी में भाग लेने के कारण वकालत छोड़ दी। जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, युसुफ मेहर अली एवं अन्य नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की, लेकिन पार्टी में कम्युनिस्ट सदस्यों के बढ़ते प्रभाव के चलते वर्ष 1939 में लोहिया, मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और मसानी ने राजनीति छोड़कर टाटा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत होने पर मीनू मसानी वापस सक्रिय राजनीति में लौट आए और आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल से छूटने पर वर्ष 1943 में मीनू मसानी बंबई के महापौर बने। बाद में भारत के संविधान सभा के लिए चुने गए और भारत के नए संविधान निर्माण में नागरिकों के मूल अधिकारों से संबंधित समिति के सदस्य बने। संविधान सभा में मीनू मसानी ने भारत में समान नागरिक संहिता लागू किए जाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उसे नामंजूर कर दिया गया। 1978 में जनता पार्टी की सरकार में ये मंत्री बने। उन्होंने अवर इंडिया नामक पुस्तक भी लिखी थी, जिसका अनुवाद हमारा इंडिया से 1942 में छपा था। 1950 तक इसके सात संस्करण छप चुके थे।


---

1957 के चुनाव में रांची ईस्ट से कुल सात उम्मीदवार मैदान में थे। एक झारखंड पार्टी से और दूसरे कांग्रेस से। बाकी स्वतंत्र चुनाव लड़े थे।


नाम दल मत प्रतिशत

एमआर मसानी झारखंड पार्टी 39025- 34.58 प्रतिशत

एमडी इब्राहिम अंसारी कांग्रेस 36785- 32.59 प्रतिशत

रवींद्रनाथ चौधरी स्वतंत्र 13605 - 12.05 प्रतिशत

रामेश्वर महतो स्वतंत्र 12332 -10.93 प्रतिशत

जेसी हावर्ड स्वतंत्र 4311 -3.82 प्रतिशत

जान डेविड मैक्सवेल हैमिल्टन बजराज स्वतंत्र-3.06 प्रतिशत

मुनजीनी डेविड स्वतंत्र-3353-2.97 प्रतिशत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें