फिल्मकारों का पसंदीदा लोकेशन है पतरातू डैम

रांची से करीब 40 किमी दूर पतरातू डैम पहले प्रवासी पक्षियों को ही आकर्षित करता था, अब दुनिया को करेगा। सात समंदर पार से पक्षी हर साल यहां आते हैं, महीनों रहते हैं और फिर चले जाते हैं। अब दुनिया के लोग भी पतरातू डैम का आनंद उठा सकेंगे। यहां रह सकेंगे। अब इसकी पहचान भी 'पतरातू लेक रिजॉटÓ केरूप में होगी। गांधी जयंती के मौके पर आज संध्या चार बजे इसका भव्य उद्घाटन सूबे के मुखिया रघुवर दास करेंगे। यह सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था। 134 करोड़ रुपए से इसे टूरिस्ट डिस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। पहले चरण में 68 करोड़ का काम पूरा हो चुका है। अभी म्यूरल आर्ट से दीवारें सजाई गई हैं। आकर्षक मुख्य द्वार, पैदल पथ का निर्माण, छठ घाट, चिल्ड्रेन पार्क, दुकानें, पार्किंग एरिया, गेस्ट हाउस, डैम टापू सब कुछ सुंदर और आकर्षित करने के लिए तैयार है। यहां आइए और फिर पतरातू घाटी का भी आनंद लीजिए। 
वैसे, घाटी हो या डैम, फिल्मकारों को भी आकर्षित करता रहा है। 2015 से जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अब तक जारी है। रांची में फिल्म पीआर का काम देखने वाले संजय पुजारी बताते हैं कि सबसे पहली फिल्म यहां 2015 में शूट हुई थी। वह भोजपुरी फिल्म थी-नाचे नागिन गली-गली। इसके बाद 2016 मेंब काशी अमरनाथ, 2017 में हर-हर महादेव, हिंदी फिल्म, चरखारी, बेगम जान, 2018 में नागपुरी फिल्म महुआ, देवा रिक्शावाला, पंजाबी फिल्म रुपिंदर गांधी, रांची डायरी, रवि किशन की हिंदी फिल्म हंच, अर्जुन रामपाल की फिल्म नास्तिक, भोजपुरी फिल्म संघर्ष, 2019 में अक्षय खन्ना की हिंदी फिल्म सब कुशल मंगल आदि की शूटिंग इस इलाके में हुई। इस क्षेत्र में आने के बाद निर्देशक को पहाड़ की खूबसूरती, डैम, घाटी सब कुछ एक साथ एक ही जगह पर मिल जाते हैं। फिल्मों की शूटिंग होने से हमारे झारखंड सरकार को फायदा हो रहा है और यहां के स्थानीय कलाकारों को। होटल व ट्रैवल के क्षेत्र में भी रोजगार की संभावना बढ़ी है तो पर्यटक भी अब यहां आ रहे हैं। अब रिजार्ट बन जाने से यहां ठहरने की भी व्यवस्था हो गई है।
क्या-क्या है खास
पतरातू लेक रिसॉर्ट शहर की भीड़-भाड़, कोलाहल से दूर एक ऐसा पर्यटक स्थल है जहाँ बच्चे, बुजुर्ग एवं युवा यानी की हर उम्र के लोग ख़ुशी का अनुभव कर सकते हैं। यहां वॉटर पार्क में विभिन्न प्रकार के वॉटर स्पोर्ट्स, जैसे जेट स्कीइंग, हाई स्पीड मोटरबोट, पड़ले बोट, कस्ती और पैरासेलिंग का अनुभव किया जा सकता है। इसके अलावा एम्यूजमेंट पार्क में वॉल क्लाइम्बिंग, बंजी जंपिंग, मल्टीलेयर्ड रोप कोर्स है। पतरातू में लगभग 21 एकड़ में फैला हुआ पतरातू लेक रिसॉर्ट में म्यूरल कलाकृति से सजा प्रवेश द्वार, दीवारें एवं स्तंभ, गोदना चित्रकला की याद दिलाते हैं। पतरातू लेक रिसॉर्ट को एक ओपन आर्ट गैलरी की तरह विकसित किया गया है, मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही यहा देश के अलग-अलग राज्यों के 52 नामचीन एवं कुछ युवा कलकारों द्वारा बनायी गई म्यूरल कलाकृतियां लगाई गई हैं। सूर्यास्त का मनोरम दृश्य देखने के लिए नाव के जरिए पतरातू आइलैंड के सनसेट पॉइंट पर पहुंचा जा सकता है। सूर्यास्त देखने के लिए मचान और कूंच बनाए गए हैं।  इसके अतिरिक्त पर्यटकों के लिए यहां पर हस्तकला और फैंसी वस्तुएं खरीदने के लिए दुकान एवं स्वादिष्ट खान-पान के लिए उत्तम रेस्टोरेंट की व्यवस्था की गई है। पतरातू लेक रिसॉर्ट में बॉन फायर का आनंद लेने के लिए आठ ब्लॉक का कैंपिंग प्लींथ एरिया बनाया गया है। सुबह का शैर एवं संध्या का विचरण के लिए डैम के ऊपर 3.5 किमी का प्रोमेनार्ड बनाया गया है, जहां सैैलानी घूमते हुए प्रकृति का आनंद उठा सकते हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहाँ सभी सुविधाओं से युक्त आधुनिक गेस्ट हाउस की व्यवस्था है। पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार कमरे या डॉरमेट्री में प्रवेश कर सकते हैं।
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रांची से दूरी 40 किमी
रांची से कांके रोड होते हुए पतरातू डैम पहुंचा जा सकता है।

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