रामरेखा धाम

सिमडेगा जिले में पर्यटन स्थल की कमी नहीं है। यहां का प्राकृतिक परिवेश भी बहुत सुंदर है। प्राचीन धार्मिक तीर्थ स्थल भी है। डैम भी है और खूबसूरत पहाड़ भी। जिधर जाइए, उधर आपको प्राकृतिक नजारा देखने को मिलेगा-ऐसा कि आंखें तृप्त हो जाएं।


जिला मुख्यालय से करीब 26 किमी दूर पर स्थित रामरेखाधाम त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यही वह पावनधाम है, जहां प्रभु श्रीराम अपने भ्राता एवं भार्या सीता के साथ वनवास काल के दौरान पधारे थे। सैकड़ों फीट ऊपर पहाड़ पर स्थित पवित्र गुफा में प्राचीन प्रतिमाएं एवं आकृतियां विद्यमान हैं।
 गुफा के अंदर ही छत में विद्यमान लंबी लकीर रामरेखा कहलाती है। इस कारण इसे रामरेखा धाम कहते हैं। रांची से इसकी दूरी डेढ़ सौ किमी के आसपास है। यहां जाने के लिए निजी साधन सबसे बेहतर विकल्प है।
दनगद्दी :  जिला मुख्यालय ये करीब 45 किमी दूर दनगद्दी सुंदर और अद्भुत दर्शनीय स्थल है। यह बोलबा प्रखंड में स्थित है। इसे पिकनिक स्पाट के रूप में विकसित किया गया है। चट्टानों से टकराते हुए आगे बढ़ती नदी की धाराएं व झरने का रूप लोगों को आकर्षित करती है। यहां नीले कलर में दिखता पानी लोगों को बरबस ही आकर्षित करता है।
सूखाधार स्पाट : पाकरटांड़ प्रखंड के बसतपुर गांव के पास सूखाधार जिले के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां शंख नदी चट्टानों के बीच लगभग खो ही जाती है। यहां चट्टानों के बीच बनी कलाकृतियां लोगों का मन मोह लेती हैं। हर नव वर्ष पर यहां काफी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। यहां तक सुलभ ढंग से छोटे वाहन ही पहुंच पाते हैं।
वनदुर्गा धाम : जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर बोलबा प्रखंड  में स्थित वनदुर्गा धाम जिले के प्रसिद्ध धामों में  से एक है। नवरात्र में यहां विशेष अनुष्ठान होता है। दूर-दूर से लोग यहां  आते हैं और अपनी प्रसन्नता के लिए देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं। यह  स्थान एक प्राकृतिक पिकनिक स्थल भी है। जिला प्रशासन ने इस स्थल के विकास के लिए कई योजना प्रस्तावित की है।
केतुंगाधाम : बानो प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी की दूरी केतुंगाधाम स्थित है। यह धाम मालगो एवं देवनदी संगम के तट पर अवस्थित है। विशेषकर सावन के महीने में यहां विशेष आयोजन होता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। केतुंगाधाम में बुद्ध की कई प्रतिमाएं मिली हंै। ऐसा कहा जाता है  कि राजा अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद पाटलिपुत्र लौटते समय बुद्ध मंदिर
का निर्माण कराया था। उसी के ये अवशेष हैं।  

केलाघाघ डैम : जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर पर स्थिति केलाघाघ डैम परिसर सबसे सुलभ पर्यटन स्थल हैं। हरियाली से युक्त दो पहाड़ों के बीच बने वृहद आकार का डैम, डैम में दूर तक फैला जल समुद्र का एहसास कराता है। डैम तट पर शिवालय है। डैम से बहता पानी आकर्षित करते हैं। यहां नौका विहार की सुविधा भी है

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