जहां दिखती है धरती गोल

इस गर्मी के मौसम में कुछ िदन पहाड़ों की रानी नेतरहाट में गुजार सकते हैं। घािटयां आपके स्वागत के िलए तैयार हैं। यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। झरनों का संगीत सुन सकते हैं। चीड़ के जंगलों की सैर कर सकते हैं। सालों से गूंजती एक प्रेम कहानी भी आपको यहां सुनाई देगी।

नेतरहाट को छोटानागपुर की रानी कहा गया है। समुद्रताल से लगभग 3514 फीट की ऊंचाई पर बसा है। चारों तरफ घाटियां हैं। घाटियों से गुजरकर ही यहां पहुंचा जा सकता है। पहुंचने के बाद तो मन आनंदित हो जाता है। यहां आने के बाद जब आप नेतरहाट से मैगनोलिया सनसेट प्वाइंट की ओर जांएंगे तो बीच के दस किमी में कहीं भी खाली जगह पर खड़े हो जाएंगे तो यहां धरती उभरी हुई दिखाई देगी और चारों तरफ घाटी। क्षण भर आप रुकें तो इसका एहसास होगा, वाकई, यह कितनी खूबसूरत जगह है। यहां का मौसम तो सुहाना है ही। सालों भर ठंड बना ही रहता है। गर्मी में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। आप यहां सप्ताहांत बिता सकते हैं। दो दिन आप प्रकृति के साथ जुड़ सकते हैं। यहां का सूर्योदय, सूर्यास्त, नदियों और झरनों के गीत और हरे-भरे शांत वातावरण आपके दिलो दिमाग को तरोताजा कर देेंगे। सड़क मार्ग से आने के दौरान घाघरा-नेतरहाट मार्ग से गुजरने के क्रम में पहाडिय़ों पर बने टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर किसी वाहन की सवारी आपको रोमांचित कर देगी।  नेतरहाट शब्द के विषय में कहा जाता है कि नेतुर (बांस) और हातु (हाट) से मिल करबना है। प्राचीन समय में यहां बांस का जंगल था, जिस कारण इसका नाम नेतरहाट पड़ गया। एक अन्य मत के अनुसार वर्ष 1901 में जब अंग्रेज नेतरहाट पहुंचे तो उस समय गर्मी का मौसम था, लेकिन नेतरहाट में अंग्रेजों को गर्मी में भी ठंडक का एहसास हुआ इससे प्रभावित हो कर तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवड गेट ने नेतरहाट को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का निर्णय लिया और इस स्थल को विकसित किया। अंग्रेजों ने ही नेतरहाट को यह नाम दिया था। प्रारंभ में अंग्रेजों ने नेतरहाट का नाम नेचरहाट रखा था, जो बाद में नेतरहाट हो गया। आज यही नाम प्रचलित है।

लकड़ी का बना शैले हाउस
शैले फ्रेंच भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है काष्ठ का घर। नेतरहाट स्थित यह ऐतिहासिक भवन काष्ठ निर्मित संरचना है। बिहार एवं उड़ीसा के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट ने इस भवन का निर्माण कराया था। जिसका उपयोग ब्रिटिश अधिकारी गर्मी में भ्रमण के दौरान स्थानीय ग्राम प्रमुखों से विचार-विमर्श के लिए प्रशासनिक शिविर के रूप में करते थे। अब यह उपायुक्त लातेहार के शिविर कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
लोअर घाघरी जलप्रपात
लातेहार के विख्यात दर्शनीय स्थल नेतरहाट से 10 किमी दूर उत्तर में यह जलप्रपात है, यह राज्य के सबसे ऊंचे जलप्रपातो में एक है। यहां घाघरी नदी का जल लगभग 320 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है। यह स्थान बहुत ही मनोरम एवं एकांत में है, जहां झरने से कलकल गिरता पानी आसपास के वातावरण को संगीतमय बना देता है। साल के सघन वृक्षों एवं पर्वत शृंखलाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती हैं, बरसात के मौसम में इसे देखना रोमांचकारी अनुभव होता है। 

मैगनोलिया सनसेट प्वाइंट:  नेतरहाट से 10 किमी की दूरी पर दो दिलों के मिलन का स्थल है, जिसे मैगनोलिया प्वाइंट या सनसेट प्वाइंट कहा जाता है। कहते है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवड गेट को नेतरहाट बहुत पसंद था, उसकी एक बेटी थी, जिसका नाम मैगनोलिया था। गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास मवेशियों को चराने के लिए जाता था। वह बांसुरी बहुत अच्छा बजाता था। उसकी बांसुरी की मधुर आवाज ने मैगनोलिया के दिल को छू लिया और वह उससे प्रेम करने लगी। वह हर िदन वहां जाती, जहां चरवाहा बांसुरी बजा कर सुनाता था। अंग्रेज अधिकारी को जब इस बात का पता चला, तो उसने चरवाहा को मरवा दिया। इसकी सूचना जब मैगनोलिया को मिली, तो उसने घोड़े सहित घाटी में छलांग लगाकर जान दे दी। लातेहार जिला प्रशासन ने दोनों की प्रतिमा लगाई है।

लोध जल प्रपात
महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 कि.मी दक्षिण-पश्चिम में ओरसापाट ग्राम के निकट लातेहार जिले  में स्थित यह झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। यहां बूढा नदी का जल लगभग 465 फिट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण सघन वनों, चट्टानों आदि को पार करती हुई जलप्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती है।
अपर घाघरी जलप्रपात : यह जलप्रपात नेतरहाट से पांच किमी की दूरी पर घाघरी नदी पर स्थित है। इस जलप्रपात के आसपास घना वन है। पर्यटकों के पिकनिक मनाने के लिए एक उत्तम स्थान है।  मानसून के दौरान इसका प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है।







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें