पीएन बोस संग्रहालय

झारखंड देश में अपनी खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इस संपदा को देखने-समझने के िलए आपको रांची िववि के भूगर्भ विज्ञान विभाग के संग्रहालय में आना होगा। देश के महान भू विज्ञानी प्रमथनाथ बोस यानी पीएन बोस को यह समर्पित है। पीएन बोस ने अपना अंितम समय रांची में ही व्यतीत किया था। देश के कई हिस्सों में उन्होंने खनिज संपदा की खोज की। अपने राज्य में िकस-िकस तरह की खनिज संपदा और अनमोल पत्थर हैं, उसे देखने के लिए यहां जरूर आइए...।

 रांची में पीएन बोस कंपाउंड के बारे में सब लोग जानते हैं। लेकिन ये पीएन बोस (12 मई 1855-27 अप्रैल 1934 ई.)  थे कौन, इनके बारे में बहुत लोग नहीं जानते। वैसे, यह उनका संक्षिप्त नाम है। उनका पूरा नाम प्रमथनाथ बोस था। देश के पहले भूगर्भ विद्। आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और रांची विश्वविद्यालय का भूगर्भ विज्ञान विभाग के साठ साल (1962-2022) पूरे होने पर हीरक जयंती मना रहा है। पीएन बोस देश के पहले भूगर्भविद् थे। उनका अंतिम समय रांची में ही बीता। उन्होंने अपनी भव्य कोठी केसी राय को दे दी और आज वहां केसी राय मेमोरियल अस्पताल बना है। बाकी जमीन आज पीएन बोस कंपाउंड के नाम से जानी जाती है। यह अब जमीन भी आबाद है। लेकिन कहानी इतनी भर नहीं है। वे घनघोर राष्ट्रवादी थे और अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करते थे। लंदन से पढ़कर आए, लेकिन जो उनकी योग्यता है, उन्हें नौकरी भारत में नहीं मिली। वायसराय के हस्तक्षेप से जियोलाजी सर्वे आफ ग्रेट ब्रिटेन में उन्हें नौकरी तो दी गई, लेकिन अंग्रेज यहां उनसे सौतेला व्यवहार करते थे। इसलिए, उन्हें बर्मा भेजा सर्वे के लिए। वहां काम किया। इसके बाद असम भेज दिया। अपनी प्रतिभा के कारण यहां उन्होंने पेट्रोलियम की खोज की। उनकी खोज पर अंग्रेज यहां उद्योग खड़ा करे, लेकिन उन्हें इसका श्रेय नहीं देते। अंग्रेज श्रेष्ठता बोध के शिकार थे। इनका जब प्रमोशन नहीं हुआ तो इन्होंने 1903 में त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद मयूरभंज इस्टेट ने इन्हें अपने पास बुला लिया अपनी भूमि का सर्वे करने के लिए। उन्होंने यहां आयरन ओर की खोज की। बताया कि यहां सैकड़ों साल तक आयरन ओर निकाला जा सकता है। इस बीच टाटा मध्यप्रदेश में अपनी स्टील की फैक्ट्री लगाना चाहते थे, लेकिन पीएन बोस ने उन्हें काली माटी में इंडस्ट्रीज लगाने की सलाह दी। 24 फरवरी 1904 को पीएन बोस ने जेएन टाटा को इस आशय का पत्र भेजा। पत्र में मयूरभंज में अच्छी गुणवत्ता वाले लौह अयस्क व झरिया व राजमहल में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी। छोटानगापुर के सिंहभूम में दो नदियों के संगम- स्वर्णरेखा व खरकई नदी के बारे में बताया कि जहां पानी पर्याप्त हे।  पत्र मिलने के बाद टाटा ने काली माटी में स्टील प्लांट की स्थापना की। यही जमशेदपुर शहर है। इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में भारत ने जो प्रगति की, आत्मनिर्भर बना, उसमें पीएन बोस की बड़ी भूमिका रही। भूगर्भ विज्ञान विभाग ने उनके नाम पर संग्रहालय की स्थापना की है। हर जिले की जमीन में कौन सी खनिज और कीमती पत्थर हैं, यहां आकर देख सकते हैं।

 

पीएन बोस का जन्म 12 मई 1855 ई. को बंगाल के नदिया जिले में गायपुर में हुआ था। उच्च शिक्षा लंदन विश्वविद्यालय में हुई, जहां से भूविज्ञान में बीएससी (आनर्स) की डिग्री प्राप्त की। 1880 में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट के पद पर नियुक्ति हुई। देश के भिन्न-भिन्न भागों में सर्वेक्षण से खनिज का पता लगाया। मयूरभंज के प्रसिद्ध लौह पर्वत गोरुमहिसानी की खोज की। पीएन बोस ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण खनिजों की खोज की। देश के िनर्माण में इस भू िवज्ञानी का अहम योगदान है। 







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