हुडरू फाल हिरणी के छलांग की तरह दिखता है

 रांची के अनगड़ा प्रखंड में हुंडरू जलप्रपात है। यह झारखंड का सबसे प्रसिद्ध और दूसरा बड़ा जलप्रपात है। स्वर्णरेखा नदी पर बने इस प्रपात की जलधारा 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है। वर्षा में इसके सौंदर्य में चार चांद लग जाता है। तब, इसकी धार खूब मोटी हो जाती है और दूधिया सफेद। गिरते जल की आवाज दूर से ही सुनाई देती है, जैसे किसी का गर्जन हो।   इस प्रपात का निर्माण रांची स्कार्प के निर्माण के समय हुआ था, ऐसा भूवैज्ञानिकों का कहना है। इसे भ्रंश रेखा पर निर्मित प्रपात भी कहा जाता है। यहां पर एक टूरिस्ट कांप्लेक्स भी है। कंाप्लेक्स के छत पर हुंडरू के सौंदर्य को निहार सकते हैं। इसी जलप्रपात से सिकिदिरी में पनबिजली का उत्पादन होता है। यहां आवागमन के साधन सरल व सुलभ हैं। हुंडरू फॉल आने के लिए मोटरसाइकिल, कार, ट्रेकर व बसों से आ सकते हैं। यह रांची-पुरुलिया सड़क मार्ग पर अनगड़ा के समीप है।


सिकिदिरी के रास्ते भी पहुंच सकते हैं
हाइवे पर स्थित रांची के ओरमांझी ब्लाक चौक से पूर्व दिशा की ओर जाने वाली पक्की सड़क से सिकिदिरी के रास्ते भी हुंडरू प्रपात तक पहुंचा जा सकता है। सुंदर नयनाभिराम पहाडिय़ों के आंचल में लगभग आठ किलोमीटर और आगे सर्पिले मार्ग से जाया जाता है। पर्यटक जलप्रपात उद्गम तथा नीचे की तलहटी, दोनों तरफ से प्रपात की गिरती स्वच्छ-धवल जलराशि देखने का आनंद उठाते हैं। नीचे एक पुल भी बना है। आसपास मजबूत चट्टाने हैं, जहां आराम से इसे निहार सकते हैं। 

तलहटी तक जाने के लिए बनी हैं सीढि़यां
पर्यटकों को सुविधा के लिए हुंडरू जलप्रपात की तलहटी तक पहुंचने के लिए 740 सीढिय़ां बनाई गई हैं। जिसके सहारे पर्यटक आसानी से हुंडरू फॉल का विहंगम दृश्य का आनंद ले सकते हैं। 740 सीढिय़ां उतरना और चढऩा भी आसान नहीं। पर, नीचे पहुंचने पर सारी थकान दूर हो जाती है।

पारंपरिक सामान की बिक्री
यहां पर्यटकों के लिए खाने-पीने के िलए होटल तो हैं ही। इनके अलावा आप यहां जाते हैं तो ग्रामीण यहां पारंपरिक सामान भी बेचते हैं। बांस से बने एक से बढ़कर एक सामान यहां देख सकते हैं। इसके अलावा टेराकोटा  का भी सामान मिलता है। ये यहां के ग्रामीण आदिवासी बेचते हैं। हां, एक बात का ध्यान जरूर रखें। पर्यटका जहां तहां प्लािस्टक का कचरा फेंक देते हैं। चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। इससे नदी भी प्रदूिषत होती है और पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। हमें इससे बचना चािहए और अपने पर्यटन स्थलों को भी साफ-सुथरा रखना चाहिए। आज यहां के ग्रामीणों से सामान भी खरीदें।
                 

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