पतरातू घाटी

रांची से 38 किमी की दूरी पर है रामगढ़ जिले की पतरातू घाटी। यहां की घुमावदार सड़कें एक अलग रोमांच पैदा करती हैं।  समुद्र तल से 1328 फीट की ऊंचाई पर यह स्थित है। घाटी से गुजरते हुए हरे भरे पहाड़ आपको एक अलग दुनिया में ले जाते हैं। आज यह झारखंड का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां एक विशाल डैम है जहां नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। खान पान और बाजार भी है। ट्राइफेड का शोरूम है जहां आदिवासी समुदाय द्वारा निर्मित सामान खरीद सकते हैं। रहने की भी बेहतर सुविधा है।

 

पतरातू  और डैम के नयनाभिराम सौन्दर्य से कोई भी सम्मोहित हुए बिना नहीं रह सकता। डैम तक पहुंचने के लिए घुमावदार रास्तों, खतरनाक मोड़ों का सफर रोमांचित करता है। जहां नजर घुमाइए वहीं प्रकृति की खूबसूरती देखने को मिलती है। हवाओं के साथ झूमते साल-सखुआ के वृक्षों को देख ऐसा प्रतीत होता है कि ये सैलानियों के स्वागत में बांहें पसारे खड़े हैं। अगर आप नदी, पहाड़, जंगल, डैम आदि का मजा एक जगह लेना चाहते हैं तो पतरातू से बेहतर जगह कहीं और हो नहीं सकती।
घाटी का सुंदर नजारा
राजधानी रांची से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पतरातू घाटी अपने अद्भुत सौन्दर्य के लिए पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। घाटी के चारों तरफ हरियाली और मोहक फूलों की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। पिठौरिया थाना के बाद से खूबसूरत घाटी शुरू होती है। यह समुद्र तल से 1328 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ों के बीच घने जंगल और उसके बीच फोरलेन सड़क पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम तक जाती है। प्राकृतिक सौन्दर्य और एडवेंचर से भरी यह घाटी करीब 15 किलोमीटर की  है। रास्ते में दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक मोड़ हैं। कई पुल-पुलिया भी। घाटी के रास्ते में बरसाती नदियां और कुछ मौसमी झरने भी मिलते हैं। बरसात में पूरी घाटी हरियाली की चादर में लिपटी रहती है। घाटी का प्रदूषण रहित, सुकून और शांति प्रदान करनेवाला वातावरण, दूर तक फैली हरियाली, पहाड़ियों और उड़ते हुए बादलों का खूबसूरत नज़ारा किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देता है। यहाँ से गुजरनेवाले लोग इसकी खूबसूरती को कैमरे में कैद करने से खुद को नहीं रोक पाते। यहां कई स्थानों पर सेल्फी प्वाइंट भी बने हैं।
मनोहारी डैम
घाटी से मात्र चार िकमी. आगे ही पतरातू डैम है, जिसे नलकारी नदी के पानी के संचय हेतु बनवाया गया था। नलकारी डैम सुंदर, आकर्षक मनोहारी छटा के लिए जाना जाता है। डैम के किनारे प्रकृति की खूबसूरती को निहारने का आनंद ही कुछ और है। डैम का निर्माण वर्ष 1960 में हुआ था, इसे भारत के महान इंजीनियर मोक्षगुन्दम विश्वेश्वरैया ने डिजाइन किया था। डैम का निर्माण पतरातू थर्मल पॉवर स्टेशन में पानी की आपूर्ति के लिए किया गया था। यहां से सीसीएल बरका सयाल और सिख रेजिमेंट रामगढ़ को पानी की आपूर्ति की जाती है। डैम के किनारे बने प्राचीन देवी स्थल मां पंचबहिनी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है।
लेक रिजार्ट
पर्यटकों के लिए 21 एकड़ में फैला एक लेक रिजार्ट बनाया गया है। इस लेक रिजार्ट में डैम में गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट के अलावा बच्चों की मौज मस्ती के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। मुख्य प्रवेश द्वारा पर एक उड़ता हुआ यूनिकॉर्न बनाया गया है। डैम के प्रवेश द्वार पर एक काले रंग के पत्थर की मां और बच्चे की मूर्ति है।
पंक्षियों से गुलजार
यह डैम सैलानी ही नहीं विदेशी पक्षियों का भी पसंदीदा जगह है। प्रत्येक वर्ष नवंबर से लेकर फरवरी माह तक काफी संख्या में साइबेरिआई पक्षी यहाँ प्रवास करते हैं। पानी के ऊपर और घाटी में उड़ते, उतरते ये पक्षी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। नीले जल में सफेद साइबेरियन पक्षियों का झुंड में उतरना और फिर घाटी में उड़ान भरना सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। साइबेरियन डक के अलावा देशी पक्षी लालसोर का कलरव, कलोल सम्मोहित कर देता है।
नौका विहार
डैम क्षेत्र में नौका बिहार का भी अपना एक अलग मजा है। नौका विहार का आनंद पर्यटकों को रोमांचित कर देता है। नलकारी डैम के किनारे बसे गांवों के लोग छोटी-छोटी नावों से पर्यटकों को नौका विहार करवाते हैं। नौका विहार करते समय मछलियों के झुण्ड आसानी से देखे जा सकते हैं। ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों, वादियों से घिरा प्रकृति का दृश्य पर्यटकों के मन में एक अलग एहसास जगाता है।
शूटिंग लोकेशन
पतरातू की प्राकृतिक सुन्दरता फिल्मकारों को लुभाने लगी है। आए दिन यहां नागपुरी और खोरठा वीडियो एल्बम की शूटिंग होती रहती है। फिल्म जगत से जुड़े कई बड़े नाम जिसमें निर्माता और निर्देशक भी शामिल हैं, इस घाटी के दीवाने हैं। हाल के दिनों में कई फिल्मों की शूटिंग यहां की गयी है।

                    
        -हिमकर श्याम

साभार दैनिक जागरण

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